सफ़रनामा....

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क्या हुआ कांतीलाल...!  आज सवेरे सवेरे कहाँ चल दिए..!  अरे रामजी भाई बस थोड़ा बगीचे मे टहलने जा रहा था...।  क्या बात हैं आज आप बगीचे मे.... सब खैरियत तो हैं...! ...

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