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कविता ःअकेलापन ★★★★★★★★★ टूटे दरख्त पर बैठा वो अकेला पंछी उड़ते बादलों को निहार रहा था आँधियों ने तांडव रचाकर क्या प्रलय मचाया था इन आँधियों में उस परिंदे ने अपना ...