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कविता ःः उड़ते पंछी ★★★★★★★★★★ जहाज से उड़ता पंछी कब जहाज पर लौट आया है.... एक दिन घोंसला छोड़,उड़ जाना है कर्म कर तू बंदे तू ,नेकी की बंदगी कर यही ...