आगोश में उन की

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कुछ अलग ही नशा था उन की आगोश में,  ना जाने कब बेगाना हुएं हम अपने होश से; देखा उन्हें करीब अपने जैसे हो ख्वाब कोई छूना चाहा तो लगा  टूट ...

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