बनाते हैं

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गज़ल शैतानों की बस्ती में, इंसान बनाते हैं। कुछ लोग अलग अपनी पहचान बनाते हैं।। जिस पत्थर को दुनिया, बेकार समझती है। वो ऐंसे पत्थर को, भगवान बनाते हैं।। बेशक वो ...

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