कविता---मौन

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कविता---मौन बंद आँखों से भीतर तुम्हें निहारूं तुम बसते हृदय के अगाध सागर में धकधक करते हुए हृदय में तुझे पाऊं  निरंतर  चलते साँसों में  तुझमें जीवन पाऊं तुम मौन की ...

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