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कविता----दर्द...! (हास्य कविता ) कैसे कहूँ, तुमको.. छोड़ कर चले जाओ प्रिये मुझको तुम नहीं भाते जरा.. सुबह से लेकर शाम तक बैरी के जैसे लगते मुझे तुम्हारी टीस खटकती है ...