नई लकीरें खींचो तुम

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प्रतियोगिता हेतु मुक्तक अरमानों के मुरझाए हैं, बाग चलो माली सी़ंचो। भारत मां का आव्हाहन है, आज मुष्ठिकाएं भींचो। दुश्मन को औकात दिखाओ, उसके घर में ही जाकर। बात पुरानी आज ...

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