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कविता ःःअनन्त आसमान ●●●●●●●●●●●●●● कितने गहरे हो...तुम..अंतहीन.. सागर की तरह.. तुम्हारा ये आसमानी रंग.. कितना मखमली है.. शांत चित्त..समाधि की तरह.. मैं पानी पानी.. देखो तुम्हारे ही रंग में रंगी मैं ...