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कविता--प्यार या आकर्षण तुम हो मेरे अपने पता नहीं कितने ये प्यार है या महज आकर्षण इसका कुछ नहीं है गनण अंधेरी रातों में जब डराता है अमावस तब,सिर्फ तुम..ही तो ...