सारंगा

315 भाग

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आज फिर उस बूढ़े ने समन्दर को हसरत भरी निगाहों से ताका और बोझिल कदम लिए सर झुका कर चल दिया। न जाने कितने बरसो से वो इसी तरह समन्दर किनारे ...

अध्याय

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