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कविता--ग्रीष्म ऋतु अलहदा सूरज ना जाने क्यों तपिश हो गया अंगारों की बरसात आसमान से करने लगा अंगारों का मौसम बड़ा सताता फिर भी गर्मी अपना प्यार लुटाता कुल्हड़ों में जमीं ...