समय बे समय

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वह वसंत का खुश्क महीना था। रोज की तरह निकम्मा, उचाट और थका हुआ दिन बिना किसी हलचल के चुपचाप बीतता चला जा रहा था। कस्बे की भीड़ और शोर से ...

अध्याय

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