315 भाग
42 बार पढा गया
0 पसंद किया गया
नरेन्द्र जीवन के झमेलों से बेफ़िक्र रहता था। लापरवाही उसका सिद्धान्त था। राह-चलते जो मिल गया, ले लिया और चलते बने। सुख मिला, हँस लिए; दुख मिला, सह लिया। पैसे मिल ...