1 भाग
222 बार पढा गया
8 पसंद किया गया
कविता ःःअनजान 🍃🍃🍃🍃🍃🍃 धूप छिपी बदली में छुपाकर अपने सारे पँख पँख फैलाए उड़ने लगे बनकर घटा अभिमान अभिमान न करो बंदे ये नहीं कोई शान समय परिवर्तनशील है...आने वाले कल ...