दीवारें रेत की

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आज भी मैं प्रातः सबसे पहले उठना चाह रही थी, किन्तु न जाने कैसे आँख लगी रह गयी। अक्सर तो समय से उठ जाती हूँ। किन्तु आज पुनः देर हो गयी। ...

अध्याय

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