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शीर्षक—प्रीत-प्राप्ति मैं भी अकेला था दिल भी अकेला था थे तन्हा-तन्हा बसेरे।। ख्वाहिश ये मुद्दत से मैंने भी पाली थी कोई मुझे आके घेरे।। लेकिन ये किस्मत मेरी रूठी थी हमसे ...