जन एकता की भाषा हिंदी प्रतियोगिता हेतु

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शीर्षक—प्रीत-प्राप्ति  मैं भी अकेला था  दिल भी अकेला था थे तन्हा-तन्हा बसेरे।।  ख्वाहिश ये मुद्दत से  मैंने भी पाली थी  कोई मुझे आके घेरे।।  लेकिन ये किस्मत मेरी रूठी थी हमसे ...

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