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लगाए मैंने मुहर, दिल पे गुलमुहर के लिए। मगर वो छोड़ गया गुल ही गुलमुहर के लिए। मिलेगी मंजिले मकसूद मेरा वादा है। वह हमसफ़र तो बने मेरे इस सफर के ...