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परसों वाणी का ब्याह है। आज आंगन में मण्डप सजाया जा रहा है। बांस बांधे जा चुके हैं। बांसों के ऊपर छाया के लिये पाकर की हरी टहनियां तोड़ कर रखी ...

अध्याय

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