बादलों के पार

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बादलों के पार वह जो दुनिया है अनदेखी अनसुनी अनोखी सी जानते नहीं कितना सच है  और कितना है अफसाना फिर भी चाहते हैं हम सब एक बार जीते जी बादलों ...

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