ब्रेक डाउन

315 भाग

89 बार पढा गया

0 पसंद किया गया

नगर की छत पर विलीन हो रहा पुच्छल तारा, लहरियाँ बिखेरता हुआ। बत्तियाँ धुधियायी हुईं। बर्फीली हवा में भी पसीने से तर-बतर। साँस घुटता हुआ-सा। तभी वह हड़बड़ा कर उठ बैठा। ...

अध्याय

×