भविष्य के गर्भ में

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सन्ध्या का समय था। भास्कर की ज्योति दिन-भर चमक लेने पर धूमिल हो गयी थी। वे प्रस्थान की तैयारी कर रहे थे। विहग-वृन्द इस विदाई के अवसर पर मंगल गान गा ...

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