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जब भी हो हु़स्न का दीदार ग़ज़ल होता है। आंख हो जाए जब दो-चार ग़ज़ल होता है। जब बिछड़ जाए किशन उसकी तड़पती राधा, जब हो जमुना पे इंतजा़र, ग़ज़ल होता ...