24 भाग
263 बार पढा गया
14 पसंद किया गया
कविता--दिशा दिशा हीन मैं हुआ, भटक रहा चहुंओर न जाने दिल किसपर अटका, मैं भटका किस छोर न पतंग हैं न डोर छूटे सब बागडोर कहाँ बैठा हूँ मैं खो गया ...