कहो क्या गज़ल कहूं

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यह मेरी फायनल रचना है दोहा मात शारदे ज्ञान के, भर दो तुम भंडार। दादर नगर हबेलि को, वर्णू मति अनुसार। चौपाई दमन नदी बहती सुख दायक। जिसकी छटा देखने लायक।। ...

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