कविता ःःकहर

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कविता ःःकहर 🍂🍂🍂🍂🍂 कविता ःकहर बेपरवाहियों के अंजाम दे रहीं  चुनौतियाँ.. कभी  जलजले तो कभी सुनामियाँ कहीं धरती आग उगलती अब प्रकृति का क्रोध कहर ढा रहा। *** सीमा✍️ ...

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