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कविता--आशाएँ अमावस भरी रात में उम्मीद का दीया जल रहा था हाथों में कलम लिए भविष्य के लिए कुछ गढ़ रहा था।। मिट्टी में सन वह निर्जीव बीज भी अंकुरण बन ...