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कविता---न आज समाज में थम रहा नैतिक संचार नायक में ही छुपा खलनायकी विचार सूली पर लटकते हैं नौनिहाल कौड़ियों में बेचकर बनते मालामाल बर्बरता बढ़ रही खो गए सदाचार जरूरत ...