कविताः नायक

24 भाग

341 बार पढा गया

17 पसंद किया गया

कविता---न आज समाज में थम रहा नैतिक संचार नायक में ही छुपा खलनायकी विचार सूली पर लटकते हैं नौनिहाल कौड़ियों में बेचकर बनते मालामाल बर्बरता बढ़ रही खो गए सदाचार जरूरत ...

अध्याय

×