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विषय:--" मित्रता " रिसने लगी मित्रता मवाद की तरह! हो गया आदमी अनुवाद की तरह! धूप गिरवी रखी चंद बौनों के घर, कोठे पर मित्रता है निनाद की तरह! किस क़दर ...