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विषय:--" चांद " चांद तुम अंतर हृदय को, भेदकर रहते कहां हो ? भेद अपना तुम छुपा कर, देखते सबको यहां हो! यामिनी जब-जब है आती बांटते सबको प्रभा क्यों ? ...