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ग़ज़ल ये नज़र डबडबाती रही रात भर। रस्म ए उल्फत निभाती रही रात भर।। मुस्कुराती रही जिस्म को सौंप कर। रूह आंसू बहाती रही रात भर।। अपने शौहर की बीमारियों के ...