1 भाग
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ग़ज़ल पत्थरों पर जो निशां होते हैं। वो भला खत्म कहां होते हैं।। लोग आंखों से बहाते हैं नदी। हाले दिल जब भी वयां होते हैं।। प्यार करना तो एक इबादत ...