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मित्र --------- मित्र तेरे चेहरे में ,दिखता मेरा ही अंतर्मन तुम ही तो हो मेरे, इस जीवन के सांझे से दर्पण तेरे हृदय के अंदर ही, मेरा हृदय पाता पोषण है ...