कसम

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विषय:--"कसम" कसम खाई यहाँ  मैनें  सभी को है जगाने  की। सुनहरे  ख्व़ाब  आँखों में पिरोने की  सज़ाने की। हमें   रस्मों  रिवाजों  के  न बाँधों  बंधनों से  तुम, हमें है आरज़ू   तारे  ...

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