तुम्हारे लिए

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एक शाम रखी है... बस "तुम्हारे लिए" आना कभी फुर्सत में करेंगे ढेर सी बातें जो रह गई हैं अनकही चाय की गर्म प्याली हाथ में थामे डूबते सूरज की पनाह ...

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