रूसवाईयाॅ॑

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यादों की किताब खोली है, आज फिर मेरी तनहाईयों ने, खोजते हैं किस-किस सफे को, रंगे हैं तेरी बेवफाईयों ने मेरे दिल का लहू है शामिल, अभी भी इसके हर हर्फों ...

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