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विषय:-- स्वैच्छिक यह तो अपना वतन है,गांधीजी ! क्यों दुखी आज मन है,गांधीजी ! कत्ल बस रोज हुआ करते हैं, वैसे काफी अमन है,गांधीजी! पीड़ा हमको प्रसाद में मिलती, अश्रु ही ...