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#लेखमंथ प्रतियोगिता कविता--छलावा किर्च किर्च कर बिखरे मन में बैठे सारे रिश्ते किसे कहूँ मैं अपना कौन मेरा पराया कहाँ से मैं आया.. वो दुनिया होगा निराला यहां तो हर रिश्तों ...