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--------------* संवाद *-------------- मौन मुखर और हृदय शिखर पर पल पल छाया तू वैरागी काल पथिक तू ,पद पथिक मैं मौन की तेरे अनुरागी .. सीप को ज्यूँ स्वाति की बूंदें ...