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"किया मैंने ही अक्सर जब नाफ़रमानियां उसकी ! छलक जाती है तब आंखों से मेहरबानियां उसकी !! मेरे चेहरे पे जब भी फ़िक्र के आसार पाये हैं ; बदल देती मेरी ...