मानभंजन--भाग(४)

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सुबह होने को अभी बाकीं थी,सूरज धीरे धीरें अपनी लालिमा बिखेरता हुआ पहाड़ो के गर्भ से प्रासरित हो रहा था,खग भी अपने कोटरों से निकलकर झुण्डों में सम्मिलित होकर भोजन की ...

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