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उत्तरकाण्ड भजन महिमा चौपाई : * रघुपति भगति सजीवन मूरी। अनूपान श्रद्धा मति पूरी॥ एहि बिधि भलेहिं सो रोग नसाहीं। नाहिं त जतन कोटि नहिं जाहीं॥4॥ भावार्थ:-श्री रघुनाथजी की भक्ति संजीवनी ...