रामचरित मानस

210 भाग

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उत्तरकाण्ड भजन महिमा  चौपाई : * रघुपति भगति सजीवन मूरी। अनूपान श्रद्धा मति पूरी॥ एहि बिधि भलेहिं सो रोग नसाहीं। नाहिं त जतन कोटि नहिं जाहीं॥4॥  भावार्थ:-श्री रघुनाथजी की भक्ति संजीवनी ...

अध्याय

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