210 भाग
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चौपाई : * कहइ भसुंड सुनहु खगनायक। राम चरित सेवक सुखदायक॥ नृप मंदिर सुंदर सब भाँती। खचित कनक मनि नाना जाती॥1॥ भावार्थ:-भुशुण्डिजी कहने लगे- हे पक्षीराज! सुनिए, श्री रामजी का चरित्र ...