रामचरित मानस

210 भाग

34 बार पढा गया

1 पसंद किया गया

उत्तरकाण्ड पुत्रोत्पति, अयोध्याजी की रमणीयता, सनकादिका आगमन और संवाद  दोहा : * ग्यान गिरा गोतीत अज माया मन गुन पार। सोइ सच्चिदानंद घन कर नर चरित उदार॥25॥ भावार्थ:-जो (बौद्धिक) ज्ञान, वाणी ...

अध्याय

×