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उत्तरकाण्ड पुत्रोत्पति, अयोध्याजी की रमणीयता, सनकादिका आगमन और संवाद दोहा : * ग्यान गिरा गोतीत अज माया मन गुन पार। सोइ सच्चिदानंद घन कर नर चरित उदार॥25॥ भावार्थ:-जो (बौद्धिक) ज्ञान, वाणी ...