दुर्गा दास--मुंशी प्रेमचंद

18 भाग

31 बार पढा गया

1 पसंद किया गया

... महासिंह को तो कदाचित ही कभी पहले ऐसे प्यारे शब्दों को सुनने का अवसर मिला हो, खुशी से फूला न समाया। हृदय धड़कने लगा। तुरन्त पलंग से उठकर वीर दुर्गादास ...

अध्याय

×