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साँझा चूल्हा हम भी रहे कभी सयुंक्त भरे पूरे परिवार का हिस्सा एक छत के नीचे साँझा चूल्हा ही नहीं सुख दुख सब कुछ साँझा होता था। रोटी, साग, आचार मिल ...