रामचरित मानस

210 भाग

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लंकाकाण्ड घोरयुद्ध, रावण की मूर्च्छा चौपाई : * हाहाकार करत सुर भागे। खलहु जाहु कहँ मोरें आगे॥ देखि बिकल सुर अंगद धायो। कूदि चरन गहि भूमि गिरायो॥4॥ भावार्थ:-देवता हाहाकार करते हुए ...

अध्याय

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