रामचरित मानस

210 भाग

37 बार पढा गया

1 पसंद किया गया

लंकाकाण्ड रावण-हनुमान् युद्ध, रावण का माया रचना, रामजी द्वारा माया नाश चौपारई : * देखा श्रमित बिभीषनु भारी। धायउ हनूमान गिरि धारी॥ रथ तुरंग सारथी निपाता। हृदय माझ तेहि मारेसि लाता।॥ ...

अध्याय

×