210 भाग
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लंकाकाण्ड रावण-हनुमान् युद्ध, रावण का माया रचना, रामजी द्वारा माया नाश चौपारई : * देखा श्रमित बिभीषनु भारी। धायउ हनूमान गिरि धारी॥ रथ तुरंग सारथी निपाता। हृदय माझ तेहि मारेसि लाता।॥ ...