210 भाग
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किष्किन्धाकाण्ड बालि-सुग्रीव युद्ध, बालि उद्धार, तारा का विलाप दोहा: * कह बाली सुनु भीरु प्रिय समदरसी रघुनाथ। जौ कदाचि मोहि मारहिं तो पुनि होरँ सनाथ।॥7॥ भावार्थ:-बालि ने कहा- हे भीरू! (डरपोक) ...