एक नदी थी

24 भाग

314 बार पढा गया

13 पसंद किया गया

"एक नदी थी...!" एक नदी थी पावन, चली, नई राह बनाने को। लेकिन, मजबूर हो गई ,सागर में मिल जाने को।। लेकर रूप बुलबुला का, आई दुनिया को समझाने। शांति-सपूता बनकर ...

अध्याय

×